कमाई
तुम से प्रेम कमा लेता हूँ
थोड़ी सी मेहनत लगती है
पर पूरा सुख पा लेता हूँ
क्या क्या जतन हुआ करते है
आओ तुम्हे बता देता हूँ
या रहने दो
बोल के अक्सर
चीज़ें बहुत गवा देता हूँ
यूँ भी होता रहे तो काफी
है मुझ को दिन ढल जाने तक
ओस चाट के प्यास बुझाई
हम ने तुझ से मिल पाने तक
कितने बाजारों में भटके
चाकर हुए , मिली न कौड़ी
कितनो ने छोड़ा था बैरंग
पर दिल ने उम्मीद न छोड़ी
उम्मीद भी जब जाने लगती है
तुम पर आस टिका देता हूँ
तुम से प्रेम कमा लेता हूँ
हाँ तुम से सुख पा लेता हूँ – धुर्जटा