ज्ञानचंद दोहेवाले / May 20, 2014 / Prashant पोथी पड़ पड़ जग मुआ पंडित भया न कोई लेटेस्ट सेल्फ-हेल्प बुक पड़े सो पंडित होए ॥
ज्ञानचंद दोहेवाले / November 23, 2011 / Prashant मन में बात न छुपाइये, मन हो जाता भारी | दोस्तों से मिलिए, दिल से बोलिए, छोड़िये चिंता सारी ||
ज्ञानचंद दोहेवाले / January 9, 2011 / Prashant जब भी दिल करे बोलने का, करो अपनों से बात | अपने अपने ही रहे, न दिन देखें न रात || दिन देखें न रात, सदा ही सुन-ने को तैयार| बात तुम्हारी एक हो, चाहे बात तुम्हारी चार|| Prashant Bhardwaj, Jan’11
ज्ञानचंद दोहेवाले / January 6, 2011 / Prashant कॉरपोरेट जगत मूया, लगा राजनीती खेल | पीठ के पीछे गाली देवत, सामने पड़े तो मेल || Prashant Bhardwaj, Jan’11
ज्ञानचंद दोहेवाले / January 6, 2011 / Prashant ज्ञान वहां पर बांटिये, जहाँ मुनासिब होए | ऐसन को ज्ञान न बांटिये, जो अब पाए तब खोये|| Prashant Bhardwaj, Jan’11