कल वो खाते थे , आज ये खाते हैं .. ज़्यादातर लोग बस येही गाना गाते हैं
सुबह से शुरू होता है ये किस्सा, रात तक खा पीकर सो जाते हैं
पर ये सोचिये के ये साले भ्रष्ट नेता हमारे ही चुनाव से आते हैं
वोटिंग के दिन छुट्टी मनाकर और उसके बाद हर रोज़ नेताओं को गालियाँ खिलाकर
आप और हम आखिर क्या पाते हैं?
क्या इस-से नेता सुधर जाते हैं?
या फिर हम आगे बड़ जाते हैं ?
फिर रात होगी फिर सब सो जायेंगे। सुबह उठ कर फिर वही कार्यक्रम अपनाएंगे
अखबार पड़ेंगे समाचार देखेंगे और नेताओं को गालियाँ सुनायेंगे
फिर अपनी रोज़ी रोटी के चक्कर में सब भूल जायेंगे!