ज़िन्दगी तेरे नाम
और एक दिन
और एक शाम
तेरे नाम
ज़िन्दगी
तू न होती तो कुछ भी न होता
ना हंसी ना ख़ुशी और ना सदमा होता
बस वक़्त होता
गुज़रा हुआ
और गुज़रने वाला
तू न होती तो कुछ भी न होता
ना किसी चीज़ की ख्वाहिश
ना दिल में कोई अरमां
बस अँधेरा
गहरा
काला
पर तू है
मेरी है
मेरे वजूद की वजह
मेरी हंसी
मेरी ख़ुशी
मेरा ग़म
मेरी आवाज़
मेरी ख़ामोशी
एक और दिन
एक और शाम
ज़िन्दगी
तेरे नाम
जनाब शायर प्रशांत भारद्वाज बुलंदशहर वाले आप लोगों से कुछ दिन के लिए इजाज़त लेते हैं…
फिर मिलेंगे
हम लोग!
सुश्री मयूरी चतुर्वेदी से प्रार्थना है के कृपया चाय की दुकान के आगंतुकों के लिए एक नूतन वेबदैनिकी चिटठा लिखें!