काला
तन काला है, मन काला है
बुढ़ापा जवानी बचपन काला है
दिन के बाद आती रात काली है
कभी कभी तो रात के बाद का दिन काला है
सुन्दरता का प्रतिरूप दिखाता, ये निर्मल योवन काला है
भय काला है, हँसी काली है,
काली अँधेरी रात में आने वाला स्वप्न काला है
ये आम आदमी काला है, ये हमारी सरकार काली है
ये सड़क पर भीख मांगता भिकारी काला है, वो गोदाम में काला बाजारी करता व्यापार काला है
परचा काला है, स्याही काली है
साक्षरता और शिक्षा का बाज़ार काला है
सिर्फ नकली लेप से पुते चेहरों पर बची कुछ लाली है
नहीं तो भाई साहब, यहाँ तो पूरी की पूरी दाल काली है