तिरंगा झंडा देख कर ये ख्याल आता है
के ये ख्याल कभी कभी ही क्यों आता है
साल भर ये देश प्रेम कहाँ चला जाता है
और एक छोटे से बदल की तरह दो-चार दिन की बारिश कर गायब हो जाता है
देश प्रेम है, दवाई नहीं, जो दिन में दो बार ली जाये
देश प्रेम है, मिठाई नहीं, जो हफ्ते में एक बार खाई जाये