ज्ञानचंद दोहेवाले / February 15, 2011 / Prashant साधू संत सब कह गए, दिल को रखिये साफ़ | जो करेगा सो भरेगा, आप कीजिये सबको माफ़ || Prashant Bhardwaj, Feb’2011
ज्ञानचंद दोहेवाले / January 16, 2011 / Prashant छुट्टी ऐसे काटिए, के अपने खुश हो जाएँ| ना कोई अनजाना घर आये, और घर के न बहार जायें|| ना रोटी की चिंता, न नाश्ते की फिकर | साथ हो बातें हो, बातों से पेट भर जाये || Prashant Bhardwaj, Jan-2011
ज्ञानचंद दोहेवाले / January 9, 2011 / Prashant जब भी दिल करे बोलने का, करो अपनों से बात | अपने अपने ही रहे, न दिन देखें न रात || दिन देखें न रात, सदा ही सुन-ने को तैयार| बात तुम्हारी एक हो, चाहे बात तुम्हारी चार|| Prashant Bhardwaj, Jan’11
ज्ञानचंद दोहेवाले / January 6, 2011 / Prashant कॉरपोरेट जगत मूया, लगा राजनीती खेल | पीठ के पीछे गाली देवत, सामने पड़े तो मेल || Prashant Bhardwaj, Jan’11
ज्ञानचंद दोहेवाले / January 6, 2011 / Prashant ज्ञान वहां पर बांटिये, जहाँ मुनासिब होए | ऐसन को ज्ञान न बांटिये, जो अब पाए तब खोये|| Prashant Bhardwaj, Jan’11