दीवार
दुनिया से खुद को बांटने के लिए मैंने एक दीवार बनाई
ईंटे कम थी इस लिए चार दीवारी बन नहीं पाई
दीवार के इस तरफ खड़े है तीन वकील
घड़ी, कैलंडर और आईना
मैं जब कहता हूँ की वक्त रुक गया है तो तीनो बहस करने लगते है
दीवार के उस तरफ दुनियावाले है जो दिन रात दीवार पर मूतते रहते है
मुझे कहीं भी चैन नहीं
एक तरफ दलीलों से लड़ता मेरा सपना है
और दूसरी तरफ बदबू भरी हकीक़त –धुर्जटा