Kabir ke Dohe
A few days ago I had posted about Kabir by Abeeda…Have been listening to that album a lot, and today was listening to Kabir by Jagjit Singh..
While listening to Abida was a soulful experience, when I hear Kabir by Jagjit, its more calm and peaceful! The same words, but such a different experience and feeling… Here are a few words that I captured while I was listening to the album…
माँगन मरण सामान है मत कोई मांगो भीख
माँगन से मरना भला, ये सतगुरु की सीख
काशी काबा एक है, एक है राम रहीम
मैदा एक पकवान बहुत, बैठ कबिरा जीम
अच्छे दिन पीछे गए, हरी से किया न हेत
अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोई
जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को होए
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोये
औरो को शीतल करे, आपहू शीतल होए
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर
पंछी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर
दुर्लभ मानुष जन्म है, होए न दूजी बार
पका फल जो गिर पड़ा, लगे न दूजी बार
I knw… it feels so motivational… even chanykya niti if you read that s like charging u up 🙂
You bet!!!
Chanakya Niti is a beautiful text to read! I am planning to post it here sometime in near future!