बचपन के दिन भुला न देना…
अक्कड़ बक्कड़ बम्बे बो…
अस्सी नब्भे पूरे सौ…
सौ में लगा धागा…
चोर निकल के भागा…
अपडेट :
Here are a couple of versions thanks to the visitors of चाय की दुकान 🙂
अक्कड़ बक्कड़ बाम्बे बो
अस्सी नब्भे पूरे सौ
सौ में लगी बिल्ली
बिल्ली भागी दिल्ली
बोले शेख चिल्ली
खेले डंडा गिल्ली
गिल्ली गई टूट
बच्चे गए रूठ
बच्चों को मनाएंगे
रस मलाई खायेंगे
रस मलाई अच्छी
हमने खायी मच्छी
मच्छी में काँटा
पड़ेगा ज़ोर से चांटा
– Thanks to ॐम्ना
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अक्कड़ बक्कड़ बाम्बे बो
अस्सी नब्भे पूरे सौ
सौ में लगा धागा
चोर निकलके भागा
राजा की बेटी कैसी है?
दुल्हन सज कर बैठी है
चाय गरम… बिस्कुट नरम,
पीने वाला बेशरम !
Thanks to Convivial
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