What Completes?
A friend asked me a while ago, Prashant what completes you? and I could not answer that.. there is so much… too much of space around that needs to be filled !!!
Small question, big answer…
It however helped a few words come out and fill some empty space.. here they are.. enjoy 🙂 and feel free to add…
पहाड़ की चोटी
नदी का किनारा
चुप चुप बैठा था
तभी साला किसी ने पत्थर मारा
देखा तो मेरा बॉस था
न मुझे कुछ होश था
याद आया ईमेल नहीं करी …
ख़ुशी की मछली तभी उस नदी मे मरी
मैं वापस काम पर
आगे बदने के नाम पर
अभी तक काम कर रह हूँ
एक एक दिन करके जीवन से गुज़र रहा हूँ
और ख़ुशी की मछली वही किनारे पर रह गई
जितनी तस्सली दिल मे थी वो कहीं उस गहरे पानी की धारा मे बह गयी
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